तू बेटी नहीं,
तू सहेली है; कुछ उलझी,
कुछ सुलझी सी पहेली है
जीवन को जो रौशन कर दे
ऊषा की किरण नवेली है
तू बेटी नहीं,
जीवन को जो रौशन कर दे
ऊषा की किरण नवेली है
तू बेटी नहीं,
तू सहेली है ;कुछ उलझी,
कुछ सुलझी सी पहेली है
देवी का सा रूप तुम्हारा
नयनों में बृह्माण्ड है सारा
मुख मण्डल पर तेज विराजे
भाव भंगिमा नित नव साजे
यौवन को फिर बचपन कर दे
मदमस्त तेरी अठखेली है
नयनों में बृह्माण्ड है सारा
मुख मण्डल पर तेज विराजे
भाव भंगिमा नित नव साजे
यौवन को फिर बचपन कर दे
मदमस्त तेरी अठखेली है
तू बेटी नहीं,
तू सहेली है ; कुछ उलझी,
कुछ सुलझी सी पहेली है
क्या कुछ खोया फिर तुझको पाया
तुझमें दिखता है इक हमसाया
यूँ ढलते दिन यूँ बीतीं रातें
मन ही मन होतीं कितनी बातें
हर पीड़ा छू - मन्तर कर दे
वो प्यारी तेरी बोली है
तुझमें दिखता है इक हमसाया
यूँ ढलते दिन यूँ बीतीं रातें
मन ही मन होतीं कितनी बातें
हर पीड़ा छू - मन्तर कर दे
वो प्यारी तेरी बोली है
तू बेटी नहीं,
तू सहेली है ; कुछ उलझी,
कुछ सुलझी सी पहेली है
No comments:
Post a Comment